ABHIVYAKTI by Amar pathik

Wednesday, October 7, 2009

कंहा तेरी मेरी रीस प्रिये


कंहा तेरी मेरी रीस प्रिये

कंहा तेरी मेरी रीस प्रिये ।
इस दिल में है ये टीस प्रिये।

तुम सुपर फास्ट राजधानी हो,
मैं अदना सा इक स्टेशन हूं,
तुम ओपन-हार्ट सर्जरी हो,
मैं माईनर सा आप्रेशन हूं।
तुम कोट्गढ़ का बागीचा,
मैं बबूल् की हूं झाड़ी,
तुम पब्लिक स्कूल मंसूरी का,
मैं पटना की आंगन-बाड़ी।

तुम व्यस्त चौराहा दिल्ली का,
मैं पगडंडी किसी गांव की,
तुम डायमंड जडित हार प्रिये,
मैं टूटी चप्पल पांव की।
तुम चन्द्र-यान का रॉकेट हो,
मैं गीला पटाखा दिवाली का,
तुम छप्पन भोग प्रसाद प्रिये,
मैं बैंगन हूँ किसी थाली का।

तुम नैनीताल की झील प्रिये,
मैं तो बरसाती नाला हूं,
तुम माल-रोड का होटल हो,
मैं पंचायती धर्मशाला हूं।

तुम शाही- पनीर की हो सब्जी,
मैं उड़द की साबुत दाल प्रिये।
तुम देहरा दून का घंटा घर,
और मैं टिहरी गढवाल प्रिये।

तुम आगरा का हो ताज-महल,
मैं ज़र-ज़्रर किला पुराना हूं,
तुम स्विस-बैंक का लॉकर हो,
मैं गला-सडा तहखाना हूं।

तुम रॉल्स-रॉयस बर्मिंघम की,
मैं लम्ब्रेटा हूं पचपन का,
तुम कैडबरी चॉकलेट प्रिये,
मैं लक्कड़-चूस हूँ बचपन का।
तुम शैम्पेन अंग्रेजी हो,
मैं गांव की कच्ची दारू हूं,
तुम वैक्यूम पम्प विलायती हो,
मैं सींखों वाला झाडू हूं।

तुम मैक-डोनल्ड का पिज़ा हो,
मैं खोमचे वाला समोसा हूं,
तुम पंच-सितारा बर्गर हो,
मैं ठंडे तवे का डोसा हूं।

तुम इन्द्र-लोक की मेनका,
मैं भान्ड हूं चंडूखाने का,
तुम स्कॉट लैंड यार्ड के ऑफिसर,
मैं मुंशी गांव के थाने का।

तुम जॉर्ज बुश अमरीका के,
मैं बेचारा सद्दाम प्रिये,
तुम एच-आई वी का वायरस तो,
मैं बे-मौसम ज़ुखाम प्रिये।

तुम लॉस वेगॉस का जैक पॉट,
मैं चूरण वाली पर्ची हूं,
तुम रोहित बल की मॉडल हो,
मैं नुक्कड़ वाला दर्जी हूं।
तुम ऐशवर्या सी दिखती हो,
मैं पूरा जॉनी वाकर हूं,
तुम क्रेडिट कार्ड अम्बानी का,
मैं कंगाल बैंक का लॉकर हूं।

तुम करवा चौथ का चॉंद प्रिये,
मैं उल्का पिंड धुंए वाला,
तुम शीतल पवन हो शिमला की,
मैं तपती लू की इक ज्वाला.....

कंहा तेरी मेरी रीस प्रिये ।
इस दिल में है ये टीस प्रिये

अमर बरवाल 'पथिक'

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